विश्व पर्यावरण दिवस पर पेड़ों के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लिया


राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर में आज दि. 05.6.2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संस्थान कर्मियों द्वारा प्रकृति से निःशुल्क रूप से प्रदत्त पर्यावरण के प्रमुख संघटक पेड़ों के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लेते हुये संस्थान की निदेशक,प्रो. (डॉक्टर) सीमा परोहा की अगुआई में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। 
प्रो. सीमा परोहा ने बताया कि संस्थान परिसर में जिन स्थानों पर पेड़ों की मात्रा कम है उनको चिन्हित कर लिया गया है और मानसून से पूर्व वहां पर वृहद रूप से पेड लगाना हमारी प्राथमिकता है। वृक्षारोपण के लिये विभिन्न प्रजातियों के पेड़ डॉ.लोकेश बाबर, कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी (कृषि रसायन) द्वारा उपलब्ध करवाये गये। 

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्पेंटवाश ड्राई और पोटाश डिराइव्ड मोलासेस इकाई का उद्घाटन करते हुये प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि देश में उर्वरकों की खपत अधिक और उत्पादन बहुत कम है। भारत में सालाना उपयोग किये जाने वाले उर्वरक की मात्रा वैश्विक उपयोग का केवल 16.1 % है। देश के किसानों को प्रमुख पोषक तत्वों की कमी यथा-नाइट्रोजन 25%, फास्फोरस 90% और पोटैशियम का 100% आयात करना पड़ता है। जिसमें बहुमूल्य विदेशी मुद्रा व्यय होती है। हम विश्व में सबसे बड़े उर्वरक आयातक हैं। भारत सरकार किसानों के लिये उर्वरकों की दर कम रखने के लिये बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान करती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 मेंये सब्सिडी प्रदान करती हैत सरकार किसानों के लिये उर् ववल 16.1 किसानों की उर्वरकों की मांग को पूरा करने के लिये सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिये लगभग 21.5 बिलियन डॉलर रूपये आवंटित किये थे।

इकाई की कार्यप्रणाली पर विस्तृत प्रकाश डालते हुयेकार्यप्रणाली पर विस्तृत प्रकाश डोलपेड़ डॉ.लोकेश बाबर, कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी (कृषि रसायन) द्वारा उपलब्ध करवाये गये डॉ.अशोक यादव, सहायक आचार्य कृषि रसायन ने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर स्पेंटवाश ड्राई पावडर, पोटाश डिराइव्ड मोलासेस एवं सी.बी.जी. (कंप्रेस्ड बायो गैस) बनने के उपरांत प्राप्त द्रव खाद (LM) व फर्मेंटेड आर्गेनिक खाद (FOM) के अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को मिलाकर आवश्यकतानुसारउर्वरक तैयार करने की प्रायोगिक इकाई की स्थापना से उर्वरक उत्पादन के नये अवसर तैयार होंगें। इस प्रक्रिया में जैविक रूप से रसायन रहित बर्मी कंपोस्ट एवं कंपोस्ट का भी उत्पादन संभव होगा। संस्थान में विभिन्न चरणों में परीक्षण के उपरांत इन उर्वरकों का संस्थान के फार्म हाउस में परीक्षण होगा। इसके पश्चात विस्तृत रूप से किसानों के इस्तेमाल हेतु फैक्ट्रियों को तकनीक स्थानांतरित की जायेगी। यह कार्य उर्वरकों के क्षेत्र में गेम चेंजर होगा और इससे उर्वरकों की गुणवत्ता बढ़ेगी और लागत में कमी आयेगी।

निदेशक महोदया ने बताया कि भविष्य में हमारी योजनामृदा परीक्षण के उपरांत उसमें जिस पोषक तत्व की कमी होगी उसके अनुरूप जैविक खाद तैयर करने की भी है। चीनी मिलों से तैयार स्पेंटाश ड्राई, पोटाश डिराइव्ड मोलासेस और सी.बी.जी. से तैयार उत्पाद आत्मनिर्भर भारत की ओर एक महत्वाकांक्षी कदम है जो किसान भाइयों को कम लागत में अधिक पोषक तत्वों के प्रयोग को बढ़ावा देता है। इस दिशा में चीनी मिलों से संस्थान को कई प्रोजेक्ट मिले हैं जिन पर तेजी से कार्य हो रहा है। इसके पूर्ण होने पर चीनी मिलों को भी अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी। 

वक्ताओं और श्रोताओं का आभार प्रकट करते हुये श्रीमती मल्लिका द्विवेदी, सहायक निदेशक (रा.भा.) ने सभी को सेमीनार में भागीदारी के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया। 

टिप्पणियाँ