लखनऊ, मंगलवार 04अक्टूबर 2022 आश्विन मास शुक्ल पक्ष नवमी, शरद ऋतु (शारदीय नवरात्र) २०७९ राक्षस नाम संवत्सर। नवरात्र का नवम दिवस सिद्धि प्रदान करने वाली माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। सिद्धि का अर्थ भौतिक वैभव नहीं अपितु आध्यात्मिक वैभव प्राप्त करना है।
जो प्रभु की सुधि दिलाए वही सिद्धि है। जो प्रभु का विस्मरण करा दे वह संपत्ति किसी काम की नहीं। संपत्ति बाहर का सुख तो प्रदान करती है पर भीतर की तृप्ति प्रदान नहीं कराती।
नौ दिन के ये व्रत, अनुष्ठान व्यक्ति को शारीरिक और आत्मिक रूप से शुद्ध करते हैं। जिसका जीवन शुद्ध है वही बुद्ध है और वही सच्ची सिद्धि को प्राप्त कर पाता है। शैल (पत्थर) पुत्री अर्थात जड़त्व से प्रारम्भ होने वाला यह पर्व सिद्धिका पर जाकर सम्पन्न होता है। जीवन का प्रारम्भ चाहे मूढ़ता से हो कोई बात नहीं पर समाप्ति सिद्धि (ज्ञान प्राप्ति) से हो, यही जीवन की वास्तविक उन्नति है। माँ दुर्गा भवानी से प्रार्थना करते हैं कि हमें गोविन्द चरणों में प्रीति हो, ऐसी सिद्धि प्रदान करें। विश्व मंगल एवं विश्व कल्याण के साथ-साथ वर्तमान समय में गौवंश के प्राणों पर आए संकट से समस्त गौवंश की रक्षा की भी माँ दुर्गा के श्रीचरणों में प्रार्थना करते हैं।
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