- अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में लम्पी रोग के संक्रमण की दर कम एवं गोवंश हानि न्यून
- प्रदेश में 1126 टीमें टीकाकरण के लिए गठित कर 26,04,500 पशुओं को गोटपॉक्स का टीका लगाया गया
- पशुओं को तत्काल उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 127 मोबाइल वेटेनरी यूनिट संचालित की जा रही-धर्मपाल सिंह
लखनऊ, गुरुवार 22सितम्बर 2022 (सूवि) आश्विन मास कृष्ण पक्ष द्वादशी, शरद ऋतु २०७९ राक्षस नाम संवत्सर। उत्तर प्रदेश के पशुधन, दुग्ध विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि प्रदेश के पशुओं को लम्पी स्किन डिजीज से बचाव एवं नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा सघन अभियान चलाकर युद्ध स्तर पर प्रभावी कार्यवाही की गयी है। जिसके परिणामस्वरूप उ0प्र0 में लम्पी रोग की संक्रमण दर अन्य राज्यों की तुलना में कम है एवं गोवंश की हानि अन्य की अपेक्षा न्यून है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी लगातार की गयी कार्यवाही का अनुश्रवण करते हुए मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे हैं। पश्चिमी प्रदेश के 26 जनपद लम्पी स्किन रोग से प्रभावित हैं। आज तक 26024 पशु प्रभावित मिले हैं, जिनमें 16872 पशुओं का उपचार कर रोकमुक्त किया गया है। 273 गोवंश की मृत्यु हुई है।
राज्य सरकार की सजकता एवं प्रभावी कार्यवाही से पशुओं के संक्रमण से ठीक होने का प्रतिशत 64 प्रतिशत है और मृत्युदर मात्र 01 प्रतिशत है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, हिमांचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा आदि प्रदेशों की तुलना में राज्य सरकार द्वारा सफलता पूर्वक इस रोग पर नियंत्रण हेतु कार्य किया जा रहा है। जिससे रोग का प्रसार सीमित हो गया है। श्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि भारत में 14 प्रदेश लम्पी वाइरस के अटैक से प्रभावित है जिनमें सर्वाधिक प्रभावित राज्य राजस्थान है। राजस्थान में 11,34,709 11,34,709 प्रभावित हुए हैं जिनमें 50,366 मृत्यु हुई है। पंजाब में 1,73,159 प्रभावित हुए हैं, जिनमें 17,200 मृत्यु हुई है। गुजरात में 1,56,236 प्रभावित हुए हैं, जिनमें 5,544 मृत्यु हुई है। हिमाचल प्रदेश में 66,333 प्रभावित हुए हैं जिनमें 2,993 मृत्यु हुई है। हरियाणा में 97,821 प्रभावित हुए हैं जिनमें मृत्यु हुई 1,941 है। जम्मू-कश्मीर में 32,391 प्रभावित हुए हैं जिनमें मृत्यु हुई 333 है। उत्तराखण्ड में 11,598 प्रभावित हुए हैं जिनमें मृत्यु हुई, 189 हैं तथा उत्तर प्रदेश में 26,024 प्रभावित हुए है, जिनमें मृत्यु हुई 273 की है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि जब तक यह लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप समाप्त नहीं हो जाता तब तक पशुओं के बचाव हेतु टीकाकरण अभियान लगातार जारी रहेगा। इसके लिए प्रदेश में 1126 टीमें टीकाकरण के लिए गठित की गयी है, जिनके द्वारा प्रदेश मेें 26,04,500 पशुओं को गोटपॉक्स का टीका लगाया गया। गोवंशीय पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण की कार्यवाही की जा रही है, इसके लिए 82.50 लाख वैक्सीन उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ पशुओं को यह बीमारी संक्रमित न करें इसके लिए पशुओं के आश्रय स्थल पंचायतीराज एवं नगर निगम के सहयोग से सोडियम हाइपोक्लोराइट/फिनायल आदि का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा पशुओं को मच्छर, मक्खियों आदि से दूर रखने के लिए कीटनाशक दवाओं का भी लगातार छिड़काव किया जा रहा है।
श्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज अन्य क्षेत्रों में न फैले इसलिए सुरक्षा कवच को सुदृढ़ करते हुए रिंग एवं बेल्ट के माध्यम से सघन टीकाकरण किया जा रहा हैै। उन्होंने बताया कि बेल्ट-1 नेपाल से मध्यप्रदेश तक 320 किमी0 तथा बेल्ट-2 बुन्देलखण्ड क्षेत्र 155 किमी0 तक सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है जो 10 किमी0 चौड़ा है। अर्न्तराज्यीय एवं अर्न्तजनपदीय सीमा से लगे जनपदों में सीमावर्ती/विकासखण्ड/ग्रामों को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश स्तर पर लम्पी चर्म रोग के सघन अनुश्रवण के लिए टीम-9 का शुरूआत में ही गठन कर दिया गया था। इसके अतिरिक्त जनपदों में जनपदीय एवं विकासखण्ड स्तर पर कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त संक्रमित गोवंश को स्वस्थ पशुओं से अलग किया जा रहा है।
पशुधन मंत्री ने बताया कि पशुओं को तत्काल उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 127 मोबाइल वेटेनरी यूनिट संचालित की जा रही है। गोआश्रय स्थलों के प्रभावित पशुओं को अलग रखने के लिए 76 आइसोलेशन सेंटर स्थापित किये गये हैं। बीमारी से बचाव के लिए सभी जनपदों में पर्याप्त दवायें उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को मच्छर आदि भगाने के लिए नीम की पत्तियों को जलाकर धुऑ करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त नीम की पत्ती को उबालकर हल्दी के साथ लेप बनाकर लगाने का परामर्श दिया जा रहा है। बीमारी की रोकथाम तथा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।
धर्मपाल सिंह ने बताया कि राज्य सरकार इस बीमारी के रोकथाम, उपचार एवं नियंत्रण हेतु लगातार कार्यवाही करते हुए अनुश्रवण भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रभावित जनपदों के जिला प्रशासन को निर्देश दिये गये हैं कि पशुओं के बचाव हेतु हरसंभव उपाय किये जायें, इसके अलावा जनपद एवं मुख्यालय स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम में सूचना प्राप्त होते ही इलाज की तुरन्त व्यवस्था कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यालय में स्थापित कन्ट्रोल के नम्बर 0522-2741992, 7880776657 एवं टोल फ्री नम्बर-1800 180 5141 का व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
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