सूर्य भगवान को अर्घ देकर भारतीय नव वर्ष के आगमन का किया स्वागत

  • जगह-जगह बड़ी धूम मची
  • पाश्चात्य सभ्यता के अतिक्रमण से मुक्त होता भारतीय नववर्ष

लखनऊ, शनिवार 02अप्रैल 2022 (सूवि) चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा बसंत ऋतु २०७९ राक्षस नाम संवत्सर। सनातन संस्कृति में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को नव वर्ष का प्रारंभ माना गया है। इसीलिए भारतीय परंपरानुसार इस दिन भोर प्रहर में उदीयमान भगवान भुवन भास्कर के प्रथम दर्शन होने पर आरती सजाकर उनका स्वागत करते हुए अर्घ्य देकर भारतीय अपने नव वर्ष का प्रारंभ करते हैं। 

इसी श्रंखला में आज मालवीय नगर में मोतीझील तट पर संस्कार भारती की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष पुनीत स्वर्णकार सहित अन्य सदस्यों ने उदीयमान सूर्य को आरती एवं अर्घ्य देकर नव संवत्सर का स्वागत किया। संगीत विधा प्रमुख ममता जी सहित ने भगवान भुवन भास्कर की आरती व भजन प्रस्तुत किया, आरती व भजन में उपस्थित मातृ शक्ति ने भी सहभागिता की।

इस अवसर पर लखनऊ के गण्यमान अतिथियों सहित बडी संख्या में पधारे क्षेत्रीय नागरिकों ने भी सम्मिलित होकर अर्घ्य दिया। साथ ही कार्यक्रम की सराहना की।

संंस्कार भारती के उपस्थित सदस्यों ने अपनी अपनी संक्षिप्त प्रस्तुति दी।

साहित्य विधा प्रमुख श्रीमती रश्मिशील जी ने नव संवत्सर को सामूहिक रुप से मनाने की आवश्यकता व सामूहिकता पर बल दिया। भू आलेखन कृष्ण औतार गुप्त, व्यवस्थापरक कार्य व संचालन उपाध्यक्ष डा0 अशोक गौतम आदि ने संभाला। व्यवस्था में स्वयं अध्यक्ष जी ने भी सहयोग किया।

इस अवसर पर सर्व श्री रामजस सिंह, कीर्ति बल्लभ गरजोला, राजीव दूबे, सुश्री रीना विक्रम सिंह, डाक्टर रश्मिशील, ममता जी, मालवीय नगर नगर संचालक, कैलाश, सह शारीरिक प्रमुख उमा शंकर, बस्ती प्रमुख मनोज लोधी, सरदार विक्रम सिंह, सर्वजीत सिंह आदि की विशेष उपस्थिति रही।

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