सिंधिया की राजनीति पर मध्य प्रदेश सरकार और भाजपा

मप्र के ताजा घटनाक्रम पर राजनीतिक विश्लेषण-मुन्ना त्रिपाठी


भोपाल। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए ग्वालियर राजघराने के कांग्रेस नेता 'महाराज' ज्योतिरादित्य सिंधिया  के कारण अब भाजपा सांसत में पड़ गई है। महाराज की बातों में आकर कमलनाथ सरकार गिराने में पीछे से सहयोग करने वाली भाजपा को अब खुद की साख बचाना महंगा पड़ रहा है। उधर, भाजपा नेताओं से सरकार गिराने की डील कर सिंधिया अब बैकफुट पर खेल रहे हैं।


सारा घटनाक्रम शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री कमल नाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने भाजपा का आपरेशन-लोटस फेल कर दिया। इस आपरेशन को दिग्विजय सिंह ने  मंत्रियों के साथ नई दिल्ली पहुंचकर फ्लाप कर दिया।


 पहला आपरेशन फेल होने के बाद भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर दूसरा आपरेशन करने की योजना बनाई और इससे गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराया।


सूत्रों की मानें तो सिंधिया ने भाजपा नेताओं के साथ कथित तौर पर एक डील की इसमें सिंधिया को राज्यसभा भेजकर केन्द्र में मंत्री बनाना


और उनके विधायकों में से कुछ को सरकार बनने पर निगम-मंडलों में पद देकर उपकृत करना शामिल था। सूत्र बताते हैं कि सिंधिया ने भाजपा को करीब 40 विधायक देने का वादा किया था। 8 मार्च तक इस नाटक की पटकथा लिखी जा चुकी थी। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार इस डील में सिंधिया ने अपने विश्वासपात्र मंत्री तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर और गोविंद राजपूत को सारी बातें बताकर विधायक लेकर आने का जिम्मा दिया था।


माना जाता है कि सारे प्रयासों के बावजूद सिंधिया केवल 19 विधायक ही तोड़ पाए। राजदार मंत्रियों के अलावा सभी विधायकों को बताया गया कि कांग्रेस में महाराज की राज्यसभा टिकट के लिए दबाव बनाना है। इसके  बाद दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के यहां  रिसेप्शन में गृह मंत्री अमित शाह और मध्यप्रदेश के नेताओं के बीच चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद कमलनाथ सरकार गिराने के लिए आपरेशन लोटस-2 लांच किया गया।


आपरेशन लोटस-2 की डील के अनुसार न तो सिंधिया बताए गए 40 विधायक ला सके और न ही उन्होंने अपने विधायकों के लिये कोई व्यवस्था की


भोपाल से दिल्ली और बाद में बैंगलूरु तक विधायकों को चार्टेड प्लेन से ले जाने से लेकर रिसार्ट में रुकने तक की व्यवस्था भाजपा के सिर माथे आ गई। सूत्र बताते हैं कि सिंधिया के पीछे हट जाने के बाद भाजपा ने आपरेशन लोटस पार्ट 1 के सूत्रधार विधायक अरविंद भदौरिया और पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता तथा पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता को सिंधिया खेमे के विधायकों का जिम्मा सौंपा। प्लान कमजोर दिखने के बाद भाजपा ने अपने विधायकों को बचाने में काफी खर्च करना पड़ा। बताया जाता है कि पार्टी द्वारा विधायकों को अघोषित तौर पर बंधक बनाने से अब भाजपा के विधायक भी नाराज चल रहे हैं। इस व्यवस्था के बाद भाजपा नेता राजधानी में रणनीति बनाने में जुटे रहे। पर सरकार गिराना तो दूर अब भाजपा को विधायकों से अपनी बात मनवाना भी मुश्किल लग रहा है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि


अब भाजपा के सामने सरकार गिराने से ज्यादा अपनी साख बचाने की पड़ी हुई है


बैकफुट से फ्रंटफुट पर आने के बाद अब भाजपा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ रणनीति बना रही है। पिछले दो दिनों से तोमर के घर शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बीच सोमवार से शुरू हो रहे विस सत्र की रणनीति को लेकर बैठक चल रही है। इस बैठक में केवल आज सिंधिया 10 मिनट के लिए गए। वहीं बताते हैं कि शिवराज सिंह और सिंधिया को मानेसर और बैंगलूरु जाकर विधायकों से मुलाकात करना थी परन्तु शिवराज सिंह चौहान अकेले ही मानेसर जाकर भाजपा विधायकों से मिलकर दिल्ली लौटे हैं। इससे साफ लगता है कि सिंधिया के साथ डील कर अब भाजपा के लिए मप्र की सरकार गिराना गले की फांस बन चुका है।


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