(वीरेन्द्र मिश्र), वैसे तो राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक दौर में गुजर रहा है।फिर भी कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इस समस्या के सौहार्द पूर्ण समाधान की एक कोशिश की है।इंडियन मुस्लिम फार पीस ने सुन्नी वक्फबोर्ड को सुझाव दिया है कि अयोध्या में 2.77 एकड़ भुमि हिन्दुओं को गिफ्ट के लिए सरकार को सौंप दिया जाय। शिया वक्फबोर्ड के.अध्यक्ष वसीम रिजवी तो पहले ही विवादित भूमि शिया सम्पत्ति बताकर राम मन्दिर को सौंपने की घोषणा कर चुके थे।हालांकि अब इस सुझाव का कोई औचित्य नहीं रह गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही एक सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाकर आपसी सुलह समझौते से समस्या के समाधान हेतु मध्यस्थता का प्रयास कर चुका है ,दो माह बाद भी नतीजा सिफर रहा।
इसके पूर्व रामराज स्थापना महामंच ने राम मन्दिर निर्माण के सौहार्द पूर्ण समाधान के लिए कई हिन्दू मुस्लिम संगठनों मुस्लिम कारसेवक मंच,सूफी सन्त सेवा समिति, सनातन महासभा,अ.भा.समग्र विचार मंच के साथ कई दौर में नृत्य गोपाल दास,वेदान्ती जी,परम हंस जी,बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी, हाजी महबूब, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सलमान नदवी, रामजन्म भूमि के पक्षकार महन्त धर्मदास जी सहित दोनों वर्गों के बुद्धिजीवियों से कई दौर वार्ता की थी।28 जनवरी 2018 को लखनऊ विश्वविद्यालय में राममन्दिर निर्माण समस्या और समाधान विषय पर चर्चा भी की थी ।परन्तु कुछ कट्टरपंथियो के चलते सौहार्द पूर्ण समाधान के प्रयास में निराशा ही हाथ लगी। अब जब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही अन्तिम दौर में है , सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने फैसले की तिथि भी लगभग तय कर दी है , वैसे तो अब इस सुझाव का कोई अर्थ नहीं फिर भी हम मुस्लिम बुद्धिजीवियों के इस सकारात्मक प्रयास की सराहना करते हैं।।
राम जन्म भूमि मामले पर
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